कामयाबी के 30 मूल मंत्र |30 basic mantras of success Chapter-2 Deepak tiwari
नमस्ते भारत,
मैं आप का दोस्त दीपक तिवारी 2nd blog मेआप का स्वागत करता हू |
पाठ -२
chapter-2
कर्म
(अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्)
आप कोई भी कर्म किया हो उसका फल आपको जरूर भोगना है अगर आप अच्छे कर्म किए हो तो जाने अनजाने आप को बुरे समय में आप के अच्छे कर्म आप को बचा लेंगे
अगर आपने गलत कर्म किये है पाप कीये है तो उसकी सज़ा आपको जरूर मिलेगी
ओ इंसान कितना छुप के कर्म करे चाहे ओह कितनी चालाकी से कर्म करे
कहते है ना जो ऊपर बैठा परमात्मा है उसके चारो तरफ camera लगा है हमारे एक एक कर्म पर ओह प्रकृति और ओ परमात्मा दृष्टी बनाए रखते है हमारे एक एक कर्म का हिसाब होता है "एक कहानी सुनाता हूं आप को समझने के लिऐ"
एक गांव में 2 मित्र रहते थे ओह धन कमाने के लिए शहर गए कुछ साल धन कमा के ओह अपने घर लौटने को सोचे दोनो अपने बैलगाड़ी pe बैठ के निकल पड़े शाम हुआ तो ओह जंगल में रुक गए एक मित्र ने कहा तुम यहा बैठ कर धन की रक्षा करो मैं कुछ खाने के लिए प्रबंध करता हू रात यही बितायेगे सुबह घर के लिए निकल जायेंगे इतना कह कर मित्र खाने की तलास में निकल गया जब वह लौटा उसके मन पे पाप आया सोचा अगर इसको जहर खाने में de दिया तो पूरा धन मेरा हो जायेगा उसने मित्र के खाने में जहर दे दिया ओह वही मर गया कुछ दिन बाद उसके घर पुत्र का जन्म हुआ वह बचपन से ही बीमार रहता था पुत्र की इलाज में उसने बहुत पैसा खर्च कर दिया पर पुत्र का तबियत ठीक नहीं हो पाया जब उसका पुत्र बड़ा हुआ तो उसके पिता ने पूछा बेटा तू इतना बीमार क्यों रहता है मैं पूरी संपत्ति तेरे इलाज में लगा दिया अब तक जितना कमाया था अब तो कुछ नही बचा... पुत्र बोला कोन बेटा किसका बेटा मैं तेरा वही मित्र हू जिसे तू जंगल में जहर दिया था अब तेरा मेरा हिसाब बराबर अब मेरा समय यही समाप्त होता है
गीता का उपदेश यही है
कोई कितना भी चालाक क्यों ना हो उसके पाप का दंड उसे जरूर मिलता है - Deepak tiwari
Email: djdtiwariofficial@gmail.com
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